इतिहास क्या है ?, इतिहास का शाब्दिक अर्थ एवं परिभाषा

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प्रिय पाठकों,
इतिहास एक ऐसा विषय है जो हर क्षेत्र में विद्दमान है यदि कोई अन्य विषय भी पढ़ता है  तो कहीं न कहीं वह पाठक इतिहास का ही पाठ कर रहा होता है क्योंकि वो सभी चीज़े पहले हो चुकी होती हैं | अतः आज हम इतिहास क्या है ? इसका क्या अर्थ है ? इसके बारे में जानेंगें | 

भूमिका
इतिहास अतीत में घटित घटनाओं का क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित मानव विकास की गाथा है। जिस प्रकार बिना नींव के इमारत खड़ी नहीं की जा सकती उसी प्रकार बिना संस्कृति, सभ्यता के इतिहास को जाने किसी भी राष्ट्र की उन्नति नहीं हो सकती है। अतः इतिहास के आधार पर हम अपने अतीत की सभ्यता, संस्कृति तथा घटित घटनाओं का अध्ययन करते हैं। यह आवश्यक नहीं है जो चीजें आज जैसी दिख रही है वो कल भी वैसी ही थी या कल वैसी ही रहेगी। वर्तमान में जो कुछ है वह कल अतीत हो जायेगा अर्थात इतिहास का अंग हो जायेगा। इतिहास अतीत के बल पर हमारे भविष्य को सुरक्षित एवं सुन्दर बनाने में हमारी सहायता करता है। उर्दू भाषा में इतिहास को तवारीख़ कहते है यह शब्द तारीख (Date) का बहुवचन है। परन्तु इतिहास को तारीख़ की संज्ञा देना उचित नहीं है क्योंकि इतिहास घटनाओं की तारीखों का संकलन मात्र नहीं है।इसमें कोई दो राय नहीं है कि इतिहास विभिन्न समय पर आने वाले परिवर्तनों के बारे में होता है। इसका संबंध इस बात से है कि भूतकाल में चीजें किस तरह की थीं और उनमें क्या परिवर्तन आए हैं।
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ज़रा सोचिए मोबाइल चलाते हुए आपके मन में यह ख्याल कई बार आया होगा कि जिस समय मोबाइल या इंटरनेट नहीं होता था उस समय लोग किस प्रकार दूरदराज लोगों से सम्पर्क करते थे ? या फिर समोसे या मोमोज खाते समय जहन में ख्याल आया हो कि इन्हें सबसे पहले कब, कहाँ, कैसे और किसने बनाया होगा? अब इस तरह  सोचिए कि क्या दुनिया भर के लोगों ने अचानक ही मोबाइल चलाना शुरू कर दिया था? या फिर अचानक ही क्या हमारे देश को गुलाम बना लिया गया था या स्वतंत्रता मिल गयी थी? तो इनका उत्तर है - नहीं। यह सारी चीजे़ एक लंबे समय में घटित होती है। तो फिर इतिहास को तारीख़ों से जोड़ कर कैसे देखा जा सकता है? इसका ये अर्थ नहीं है कि तिथियों का कोई महत्त्व नहीं है जिन घटनाओं के लिए निश्चित तिथि बताई जा सकती जैसे भारत देश अंग्रेजी शासन से कब स्वतंत्र हुआ? हमारे देश का संविधान किस तिथि को लागू हुआ? इस तरह के प्रश्नों में तिथि का महत्त्व बना रहता है। आधुनिक इतिहासकार अब बहुत सारे अन्य मुद्दों और दूसरे सवालों पर लिखने लगे हैं। जैसे सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनैतिक आदि विषयों पर लिखते हैं । अर्थात वे जीवन-यापन करने के लिए क्या करते थे? कृषि का ज्ञान उन्हें कैसे प्राप्त हुआ? किस तरह से नए विचार पनपे और किस तरह संस्कृति, समाज में परिवर्तन हुआ आदि विषयों पर विचार करते हैं।
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इतिहास का शाब्दिक अर्थ : 


इतिहास का संधि विच्छेद करने के उपरांत इति+ह+आस् प्राप्त होता है जिसका अर्थ है - ‘ऐसा ही हुआ था’ यानी इस पृथ्वी पर भूतकाल में जो कुछ भी घटित हुआ था, वह सब इतिहास के अंतर्गत आता है। इतिहास को अंग्रेजी में हिस्ट्री (History) कहते हैं जो यूनानी भाषा के हिस्टोरिआ (Historia) शब्द से उत्पन्न हुआ है। यूनानी भाषा में इसका अर्थ - जानना, बुनना, ज्ञात करना, या सत्य का अन्वेषण करना है |


नोट:

यूनानी इतिहासकार हिरोडोटस को इतिहास का जनक माना जाता है।
इन्होने ही भूतकाल में घटित घटनाओं का संकलन कथा, कहानियों आदि के आधार पर किया। इसलिए उन्हें कथात्मक इतिहास का जनक भी माना जाता है।लम्बे समय तक इतिहास इसी प्रकार से चलता रहा किन्तु 19वीं सदी में जर्मनी के ‘लियोपालटु वान रान्के’ ने इतिहास को जानने की वैज्ञानिक विधि का विकास किया।
इनके अनुसार ,‘‘घटना को उसके यथार्थ एवं वास्तविक रूप में प्रस्तुत करना ही इतिहास है।’’



इतिहास की परिभाषा:



जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि इतिहास का क्षेत्र काफी विस्तृत है, इसको सीमित शब्दों में बांधना एक कठिन एवं जटिल कार्य है फिर भी इतिहासकारों ने इतिहास को परिभाषित करने का प्रयास किया है। जिनमें से कुछ मुख्य परिभाषाएं निम्नवत हैं -


मैटलैण्ड के अनुसार-‘‘मनुष्यों ने जो कुछ किया है, या कहा है या विचारा है, वह सब इतिहास है।’


वी.डी. घाटे के अनुसार - ‘‘इतिहास हमारे सम्पूर्ण भूतकाल का वैज्ञानिक अध्ययन तथा प्रतिवेदन है।’’

डाॅ0 राधाकृष्ण के अनुसार - ‘‘इतिहास राष्ट्र की स्मृति है।’’


रैपसन के अनुसार - ‘‘इतिहास विचारों की प्रगति अथवा घटनाओं का सम्बंधित अध्ययन है।’’


शब्दकोष के अनुसार - ‘‘सार्वजनिक घटनाओं का लेखा।’’

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अर्थात इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इतिहास मानव-समाज के विकास की आनुक्रमिक कहानी है। जो न ही पूर्णतः वैज्ञानिक है और न पूर्णतः कलात्मक। बल्कि यह यह दोनों का मिश्रित स्वरूप है और दोनों एक-दूसरे पर आधार आधारित है। यह मनुष्यों द्वारा अतीत में किये गये कार्यों के बारे में होता है। इतिहासकार अनेकों स्रोतों के आधार पर सही-सही इतिहास को प्रस्तुत करने की कोशिश करता है जिससे लोग आसानी से अतीत में हुए महत्त्वपूर्ण घटनाओं को समझ सकें और उनसे सीख प्राप्त कर सकें। जैसे इतिहासकार डी.आर.भंडारकर ने अशोक के इतिहास को मात्र अभिलेखों के आधार पर लिखने में सफलता प्राप्त की है। इतिहास के आधार पर हम अपने अतीत की सभ्यता, संस्कृति तथा घटित घटनाओं का अध्ययन करते हैं। यह मानव विकास का स्वरूप है, जो भूतकाल से अभी तक चलता चला आ रहा है। अतः इतिहास अतीत का वैज्ञानिक कैलेण्डर है जो हमें अतीत के संबंध मे कब, कहाँ तथा क्यों, कैसे का उत्तर देने का प्रयास करता है।




अभ्यास प्रश्न 


  1. इतिहास क्या है ?
  2. इतिहास का जनक किसे माना जाता  है ?
  3. इतिहास का शाब्दिक अर्थ क्या है ?
  4. इतिहास को वैज्ञानिक धारणा किसने प्रदान की ?
  5. इतिहास को तारीख़ की संज्ञा देना क्यों उचित नहीं है ? 
  6. हिरोडोटस व लियोपालटु वान रान्के दोनों इतिहासकार किन देशों  से सम्बंधित थे ?




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