प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत (Prachin Bhartiya Itihas ke Shrot)

 

नमस्कार ! जय हिन्द !

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प्रिय पाठकों !

प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के अनेक साधन एवं विविध प्रकार की सामग्री हैं | जिनमें पत्थरों, सिक्कों आदि  से लेकर अनेक प्रकार के साहित्य जैसे - वेद, महाकाव्य ,भगवती सूत्र , त्रिपिटक, आदि सम्मिलित हैं | 

अध्ययन की सुविधा को ध्यान रखते हुए हम 
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
 को तीन भागों  में बांटा जा सकता है | 
                                   
                                1. पुरातात्विक स्रोत
                                2. साहित्यिक स्रोत 
                                3. विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांत 

इन तीनों भागों को फिर छोटे छोटे भागों में बांटा जा सकता है : जिसकी चर्चा क्रमवार ढंग से आगे करेंगें , सुविधानुसार यहाँ हम प्राचीन भारतीय इतिहास के पुरातात्विक स्रोत का ही अध्ययन करेंगें |   पुरातात्विक स्रोत वह स्रोत हैं जो हमें उत्खखन (खुदाई ) में प्राप्त होते हैं | जिसके माध्यम से प्राचीन काल के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया  सके  |    पुरातात्विक स्रोत  को हम तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं :
  • 1- पुरातात्विक स्रोत  : PRACHIN BHARTIYA ITIHAS
    • अभिलेख 
    • सिक्के 
    • पुरातात्विक स्मारक   
      • मूर्तियाँ 
      • चित्रकला 
      • भवन  
        अभिलेख  : अभिलेखों के अध्ययन को एपिग्राफी (Epigraphy) कहा जाता है | 
        
प्राचीन भारत के अधिकांश अभिलेख पाषाण शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों , गुफाओं के भीतर तथा मूर्तियों पर उत्कीर्ण हैं : जिसे शिलालेख , स्तम्भ लेख, भित्तिलेख के रूप में जानते हैं | 

    शिलालेख क्या है ? स्तम्भ लेख किसे कहते हैं ? भित्तिलेख क्या है ?
    
    जब किसी भी प्रकार का  लेख शिलाओं पर लिखें होते हैं तो उन्हें शिलालेख की संज्ञा दी जाती है | 

इसी प्रकार, जब  कोई लेख स्तम्भ पर उत्कीर्ण होते हैं तो उन्हें स्तम्भ लेख कहते हैं  तथा जब लेख किसी गुफा के भीतर दीवारों पर लिखा होता है तो उसे भित्तिलेख कहते हैं | 

लिखने की सबसे प्राचीन प्रणाली सिंधु घाटी की सभ्यता के मुद्राओं में पायी जाती है , लेकिन उस लिपि को पढ़ने में अभी तक सफलता नहीं प्राप्त हुई है | इसीलिए अशोक के उत्कीर्ण लेखों के लेखन प्रणाली को सबसे प्राचीन माना जाता है | अशोक के  अभिलेख चार लिपियों में मिले हैं - ब्राह्मी लिपि , खरोष्ठी लिपि , यूनानी लिपि, तथा आरमेइक लिपि में | 

Note : सर्वप्रथम जेम्स प्रिन्सेप ने 1837 ईस्वी में अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख को पढ़ने में सफलता प्राप्त की थी | 

लिपियों के विकास के अध्ययन को " पुरालिपि विद्या " ( Palaeography ) कहा जाता है | 

प्रमुख अभिलेख

शासक

हाथीगुम्फा अभिलेख

खारवेल

जूनागढ़ अभिलेख

रुद्रदामन

नासिक अभिलेख

गौतमी बलश्री

ऐहोल अभिलेख

पुलकेशिन द्वितीय

मंदसौर अभिलेख

यशोवर्मन

प्रयाग स्तम्भलेख

समुन्द्रगुप्त

भीतरी स्तम्भ लेख

स्कंदगुप्त




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