नमस्कार! जय हिन्द!
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प्रिय पाठकों !
हमारी पिछली पोस्ट में दो शब्द - "संस्कृति" और "सभ्यता" का कई बार प्रयोग किया गया था | तो आज हम इस पोस्ट में जानेंगें कि सभ्यता और संस्कृति आखिर क्या है, इनमें क्या अंतर और क्या सम्बन्ध हैं ? अगर आपने हमारी पिछली पोस्ट को नहीं पढ़ा है तो पोस्ट के अंत में लिंक दिया गया है लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं |
संस्कृति और सभ्यता
संस्कृति समाज के सोचने, विचार करने, कार्य करने आदि गुणों में विद्द्मान रहती है | जबकि सभ्यता अक्सर कृषि, व्यापार, नगरीकरण आदि की उन्नति को इंगित करता है| सभ्यता मानव की भौतिक क्षेत्र की प्रगति को बताती है जैसे -वेशभूषा, रहन-सहन आदि तथा संस्कृति सांस्कृतिक प्रगति को | संस्कृति को अंग्रेजी में Culture कहते है जो लैटिन भाषा के cult से बना हुआ है जिसका अर्थ है - "विकसित करना या परिष्कृत करना" | इस प्रकार हम कह सकते हैं अमूर्त चीज़ों का परिष्कृत और शुद्ध रूप संस्कृति है | संस्कृति बौद्धिक होती है | संस्कृति में परम्परागत चिंतन,कलात्मक अनुभूति, धार्मिक आस्था का समावेश होता है | संस्कृति पूर्णतः प्रकृति द्वारा प्रदान नहीं की गयी होती है बल्कि या सामाजिक प्रक्रिया द्वारा विकसित गयी होती है | अतः संस्कृति हमारी वंश परम्परा और सामाजिक विरासत से सम्बद्ध होती है तथा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्रदान करके संरक्षक का कार्य करती है | इससे यह भी ज्ञात होता है संस्कृति गतिशील होती है | इसमें निरंतर परिमार्जन होता रहता है | और यह संचित भी रहती है | जैसे - हाथ जोड़कर नमस्ते करना भारतीय संस्कृति है जो आज भी प्रासंगिक है |
भारतीय संस्कृति की कुछ फोटो नीचे दी गयी है -
संस्कृति के दो स्वरुप हैं -
- अभौतिक संस्कृति
- भौतिक संस्कृति
सामान्य अर्थ में अभौतिक संस्कृति को "संस्कृति " तथा भौतिक संस्कृति को "सभ्यता " कहते हैं | इस प्रकार संस्कृति और सभ्यता दोनों पूर्णतः अलग न होकर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जैसा कि हम जानते हैं कि अभौतिक चीज़ों में वो चीज़े आती है जो दिखाई नहीं देती हैं अतः संस्कृति मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक होती हैं अर्थात आंतरिक होती है जबकि सभ्यता बाह्य होती है और सामान्यतः भौतिक चीज़ो से सम्बंधित होती है | इसको बेला पुष्प के एक सुंदर उदाहरण से समझ सकते हैं - इस पुष्प में ख़ास बात यह होती है कि इसमें सुगंध पुष्प के मुरझा जाने के बाद भी अन्य पुष्पों की तुलना में अधिक समय तक रहती है | हम यूँ कहें कि पुष्प की आकृति, आकार, बनावट अर्थात बाह्य गुण 'सभ्यता' है और सुगंध यानी आंतरिक गुण 'संस्कृति' है | तो हम सरलता से समझ सकते हैं कि सिर्फ सभ्यता का या फिर सिर्फ संस्कृति का अलग-अलग अस्तित्व नहीं रह जाता है | यह एक दूसरे के पूरक है परन्तु जिस प्रकार सुगंध अधिक दिन तक रहती है उसी प्रकार संस्कृति अधिक समय तक जीवित रहती है | और सभ्यता खत्म हो जाती है - जैसी सिंधु घाटी की सभ्यता व वैदिक सभ्यता आदि |
संस्कृति और सभ्यता में अंतर
संस्कृति समाज का मन है और सभ्यता उसका शरीर है | संस्कृति व्यवहार, मूल्यों का आकार है जबकि सभ्यता मान्यताओं, वेशभूषा से प्रेरित होती है | हम कह सकते हैं कि संस्कृति सभ्यता का हिस्सा है, सभ्यता संस्कृति की ओर प्रभाव डालती है | विभिन्न विद्वानों ने सभ्यता और संस्कृति को निम्नलिखित तरह से स्पष्ट किया है |
काण्ट के अनुसार -"सभ्यता बाह्य व्यवहार की वस्तु है परन्तु संस्कृति नैतिकता की आवश्यकता होती है तथा यह आंतरिक व्यवहार की वस्तु है |"
जिसबर्ट के अनुसार -"सभ्यता बताती है कि 'हमारे पास क्या है ' और संस्कृति बताती है कि हम क्या है | "
ग्रीन के अनुसार -एक संस्कृति तब ही सभ्यता बनती है, जबकि उसके पास एक लिखित भाषा, दर्शन, एक जटिल विधि और राजनैतिक प्रणाली हो |"
गिलिन व गिलिन के अनुसार - "सभ्यता संस्कृति का अधिक जटिल एवं विकसित रूप है |"
अभ्यास प्रश्न -
- संस्कृति और सभ्यता क्या हैं ?
- संस्कृति और सभ्यता में पांच अंतर बताइये तथा यह भी बताइये कि ये दोनों एक दूसरे कैसे सम्बंधित हैं ?
- जिसबर्ट के अनुसार सभ्यता और संस्कृति क्या है ?
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